जीवन परिचय (डॉ.विनोद तिवारी)

         
डॉ विनोद तिवारी

 संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की सफलता की कहानी की शुरुआत डॉ.विनोद तिवारी के जीवन से जुडी है  आओ एक नजर में डॉ विनोद तिवारी के जीवन की झलक देखें ~

घठोली लोरमी बिलासपुर में जन्में डॉ. विनोद तिवारी का जन्म सन 1963 में ग्राम घठोली लोरमी जो वर्तमान में जिला मुंगेली में आता है वहां के एक तिवारी परिवार में हुआ । पिता श्री सतानंद तिवारी जो एक सामन्य व्यक्ति होने के साथ गरीबों की पीड़ा दूर करने का प्रयत्न करते रहते थे उनकी यही भावना उनके सुपुत्र डॉ. विनोद के मन में हमेशा रहती थी । बिलासपुर छःत्तीसगढ़ उ.मा. वि. मिशन हा. सेकंडरी स्कूल एवं सी.एम.डी.कालेज बिलासपुर से डी.आर्थो  जबलपुर से किया सन 1996 में एम्.एस. ऑर्थो कालेज मेडिकल कॉलेज रीवा से करने के बाद मुंबई चले गए मुम्बई में ब्रीच कैंडी के प्रथम ओर्थपेडीक रजिस्ट्रार बने फिर जसलोक नायर व् भाटिया हॉस्पिटल में कार्य किया ।

मन में गरीबों व् समाज के लिए कुछ हटकर स्वास्थ्य सेवाओं  को करने के लिए संजीवनी वेलफेयर सोसायटी बनाई । जिसके द्वारा निःशुल्क उपचार व् ऑपरेशन करते रहते है। विदेश में की गयी पढाई व् अपनी मेहनत व् अनुभव से कई बीमारियों पर शोध किये व् पूर्ण सफलता प्राप्त की जिससे मरीजों को भी बहुत राहत मिली । जरूरत के अनुसार मरीजों की अस्पताल में बेहतर इलाज के लिए बाहर से भी अस्थि रोग विशेषज्ञों की सुविधा उपलब्ध करते हैं । अस्पताल में अत्याधुनिक उपकरण होने के कारण मरीजों को इधर - उधर भटकना नही पड़ता व् एक ही छत के नीचे मरीजों का बेहतर इलाज सम्भव है । गरीब मरीजों का कम से कम खर्च में बड़े से बड़ा ऑपरेशन करने के कारण अपनी विशेष पहचान बना चुके हैं अन्य संस्थाओं के द्वारा भी निःशुल्क इलाज चेकअप करते ही रहते है।

साथ - साथ अपने अस्पताल में निःशुल्क कैंसर ओपीडी एवं क्लिनिकल योगा क्लासेस चलती रहती है। डॉ विनोद तिवारी एक सफल चिकित्सक होने के साथ अपने सौम्य व् मधुर व्यवहार के लिए जाने जाते हैं । सेंट्रल जोन इंडियन ऑर्थोपेडिक के अध्यक्ष एवं छत्तीसगढ़ ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के सचिव व् अध्यक्ष रहें। बहुत सारी संस्थाओं से जुड़े रहने के बाद भी सामाजिक कार्यों को भी पर्याप्त समय देने के बाद मरीजों के बेहतर इलाज के लिए छःत्तीसगढ़ ही नही अन्य राज्यों में भी अपनी विशेष पहचान  रखते हैं । प्रो. डॉ.डीडी तन्ना के क्लीनिकल एसोसिएट रहे। सन 1998 में बिलासपुर लौट कर यहां अपनी सेवाएं देना प्रारम्भ की। शोध पत्र व् अन्य एकेडमिक कार्य के लिए की अवार्ड ,गोल्ड मैडल व् दो सिल्वर मैडल द्वारा सम्मान मिला । 

Comments

Popular posts from this blog

हड्डी से सम्बंधित रोगों के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान

संजीवनी हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर ने कोरोना के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है जरूर पढ़ें